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Thursday, September 20, 2018

जिंदगी

                                           जिंदगी
क्या है जिंदगी ― जिंदगी एक खेल है जिस खेल के अनेक मतलब होते है।अपनो के लिए ही जीना जिंदगी नहीं है,उसके लिए जियों जिसे जरूरत हो तुम्हारी।हरेक इंसान अपने जिंदगी को अलग अलग तरह सर खर्च करता है।इस जिंदगी का सबसे बड़ा उसूल है खुशी जो आपको और महान बना देती है।इंसान को महान सबसे पहले अपने लिए बनना पड़ता है तभी वो पूरी दुनिया के लिए महान होता है,चाहे वो किसी भी क्षेत्र में क्यो न हो। लाख परेशानियां हो लेकिन उसको अपने चेहरे पर न के बराबर लाना ये भी एक पहलू है जिंदगी का क्योको अगर आप परेशान हो तो आपसे जुड़े लोग भी परेशान होंगे।इसीलिए अपने आत्म शक्ति को अपनी ताकत बनाओ जिससे लाख कमजोरी भी धुंए के बादल की तरह उड़ जाए।समय बदलता गया जीने की शैली भी बदली लेकिन मक़सद आज भी वही है क्योंकि जीने की शैली बदल जाने से जिंदगी नही बदलती बस एक तरीका अलग हो जाता है जीने का।कोई भगवान कहलाता है क्यो,क्योंकि भगवान वो होता है जो हमेशा सबको खुश राखे तभी तो बचपन से यही बताया जाता है कि सबके अंदर भगवान है कारण यही है कि अगर आप सबको अपने तरीके से खुश रखते है तो आप भी भगवान है।अपने अंदर के भगवान को पहचानना भी जिंदगी है इसके लिए आपको अनेक ऐसे कार्य करने होंगे जिससे किसी को ठेस न पहुँचे किसी की भावनाओं को आहत न पहुँचे। जिंदगी में कार्य बहोत जरूरी है क्योंकि कार्य से ही आपको शक्ति मिलेगी जो इस जीवन मे बहुत ज्यादा जरूरी है।

                              मैंने इस छोटे से लेख में अपनी मन की भावनाओं को प्रदर्शित किया है।अगर कोई त्रुटि हो या कोई बात जिसमे आप सुधार लाना चाहते हो कृपया जरूर बताएं जिसे की मैं इस छोटे से लेख को आपकी सोच आधार पर भी निर्धारण कर सकूं

धन्यवाद

Wednesday, September 12, 2018

मदार, आयुर्वेद का वरदान

नमस्कार दोस्तो 
मैं बाहर हर्बल गार्डन में स्टूडेंट्स को पोधो के औषधीय विशेषता के बारे में बातें कर रहा था लेकिन अचानक मेरी नज़र मदार( Calotropis gigantea) के plant पर गई ओर गाव में सुनी हुइ ओर किसी टोने वाली किताब में पढ़ी हुइ बातें याद आ गयी! अक्षर लगभग लोग मदार के पेड़ के बारे में अन्धविश्वास वाली बातें करते पाए जाते हैं l कुछ लोग इसे भूतिया मानते हैं तो कुछ जहर का पेड़ बताते हैं l तांत्रिक लोग उसे तंत्र मंत्र से संबन्धित मानकर टोने करते है,तो सकारात्मक लोग उसे लक्ष्मी से संबन्धित मानकर घर पर लगाते हैं हालाँकि बहुत कम लोग इसके औषधीय गुनो के बारे में बातें करते हैं या जानते हैं  इनमें कुछ पुराने लोग या वैध हो सकते हैं l
एक तांत्रिक से बात करने के दोरान पता चला की मदार की 40 दिनों तक उसकी बतायी हुइ विधि से पूजा करने पर बेताल सिद्धि को पाया जा सकता हैं सुनकर हँसी तो बहुत आयी लेकिन पता भी चल गया कि क्यो इसको लेकर लोगो में भ्रान्ति फैली हुइ हैं
हालांकि मेरा जुड़ाव पौराणिक ग्रंथो से रहा हैं,  और गरुड़ पुराण में आयुर्वेद खण्ड में अच्छी खासी जानकारी प्राप्त हो  गयी थी साथ ही मेडिकल प्रोफ़ेशनल होने के नाते experiment भी हो गया l madar या  आक का  Antielargic effect  को देखकर तो में अचंबित रह गया यह 4 से 10 साल पुराने चार्म रोग को ठीक करने में भी सक्ष्म हैं लेकिन लोग इसके गुण को न जानकर केवल इसे टोने से connect कर देते हैं Pharmacognocy (कच्ची औषधि का अध्ययन)  पुस्तक में इसके औषधीय गुण को देखकर में सोचता रह गया कि ये लोग इससे अंजान क्यो हैं l ख़ैर छोड़िये कभी में भि इनमें से एक था और अब तक होता शायद l लेकिन आप सोच रहे होगे कि आख़िर मदार का आख़िर क्या पर्योग हो सकता हैं ,तो बताते हैं
प्रकार
ये मुख्यत 3 प्राकार का हो सकता हैं
रक्तार्क:  इसके पुष्प बाहर से श्वेत रंग के छोटे कटोरीनुमा और भीतर लाल और बैंगनी रंग की चित्ती वाले होते हैं। इसमें दूध कम होता है।
श्वेतार्क : इसका फूल लाल आक से कुछ बड़ा, हल्की पीली आभा लिये श्वेत करबीर पुष्प सदृश होता है। इसकी केशर भी बिल्कुल सफेद होती है। इसे 'मंदार' भी कहते हैं। यह प्रायः मन्दिरों में लगाया जाता है। इसमें दूध अधिक होता है।
राजार्क : इसमें एक ही टहनी होती है, जिस पर केवल चार पत्ते लगते है, इसके फूल चांदी के रंग जैसे होते हैं, यह बहुत दुर्लभ जाति है।
आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा शिर दर्द जाता रहता है। बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है।
आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है।
कडुवे (mustard oil)  तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है।
पत्तों पर कत्था चूना लगा कर पान समान खाने से दमा रोग दूर हो जाता है। तथा हरा पत्ता पीस कर लेप करने से सूजन पचक जाती है।
पत्तों के धूँआ से बवासीर शाँत होती है। आक का दूध बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं।
आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है।
आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है। (दूध पीते बालक को माता अपनी दूध में दे)
मदार के फल की रूई रूधिर बहने के स्थान पर रखने से रूधिर बहना बन्द हो जाता है।
 आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखती हुई आँख अच्छी हो जाती है।

आक के दूध का फाहा लगाने से मुँह का लक्वा में आराम हो जाता है।
 आक की छाल को पीस कर घी में भूने फिर चोट पर बाँधे तो चोट की सूजन दूर हो जाती है।
आक जड को दूध में औटा कर घी निकाले वह घी खाने से नहरूआँ ( फोड़l) रोग जाता रहता है।
आक की जड छाया में सुखा कर पीस लेवे और उसमें गुड मिलाकर खाने से शीत ज्वर शाँत हो जाता है
आक की जड 2 सेर लेकर उसको चार सेर पानी में पकावे जब आधा पानी रह जाय तब जड निकाल ले और पानी में 2 सेर गेहूँ छोडे जब जल नहीं रहे तब सुखा कर उन गेहूँओं का आटा पिसकर पावभर आटा की बाटी या रोटी बनाकर उसमें गुड और घी मिलाकर प्रतिदिन (21 दिन कम से कम) खाने से  पुरानी गठिया  दूर हो जाती हैं l
आक की जड के चूर्ण में काली मिर्च पिस कर मिलावे और रत्ती -रत्ती भर की गोलियाँ बनाये इन गोलियों को खाने से खाँसी दूर होती है।
आक की जड के छाल के चूर्ण में अदरक का अर्क और काली मिर्च पीसकर मिलावे और 2-2 रत्ती भर की गोलियाँ बनावे इन गोलियों से हैजा रोग दूर होता है।

आक की जड के लेप से बिगडा हुआ फोडा अच्छा हो जाता है।
आक की जड की चूर्ण 1 माशा तक ठण्डे पानी के साथ खाने से प्लेग होने का भय नहीं रहता।
आक की जड का चूर्ण दही के साथ खाने से स्त्री के प्रदर रोग दूर होता है।
आक की जड का चूर्ण 1 तोला, पुराना गुड़ 4 तोला, दोनों की चने की बराबर गोली बनाकर खाने से कफ की खाँसी अच्छी हो जाती है।
आक की जड का चूर्ण का धूँआ पीकर ऊपर से बाद में दूध गुड पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।
आक का दातून करने से दाँतों के रोग दूर होते हैं।
आक की जड का चूर्ण 1 माशा तक खाने से शरीर का शोथ (सूजन) अच्छा हो जाता है।
आक की जड 5 तोला, असगंध 5 तोला, बीजबंध 5 तोला, सबका चूर्ण कर गुलाब के जल में खरल कर सुखावे इस प्रकार 3 दिन गुलाब के अर्क में घोटे बाद में इसका 1 माशा चूर्ण शहद के साथ चाट कर ऊपर से दूध पीवे तो प्रमेह रोग जल्दी अच्छा हो जाता है।
 आक का दूध लगाने से ऊँगलियों का सडना दूर होता है।

आप को ये जानकारी केसी लगी बताना जरुर
अब आप से फिर मिलेगे अगले post में एक नए विषय के साथ l
धन्यवाद! 

Karma

(Reference- Shrimad bhagvat gita)      TIME-Summer holiday, a last week of July starting of holly srawan month of the hindu calender. Villag...